हम सभी सुधार चाहते हैं !
सुधार अपने जीवन में !
सुधार अपने आस-पास के व्यक्तियों में !
सुधार अपने समाज में !
परन्तु, हम में से कितने ही व्यक्ति ऐसे होंगे ? जो स्वयं में सुधार करना चाहते हैं!
क्योंकि यही कार्य हमें अधिक मुश्किल प्रतीत होता है | परन्तु, सत्य इसके ठीक विपरीत है ‘स्वयं’ में सुधार सबसे अधिक सरल कार्य है | अब प्रश्न यह उठता है कि यह कार्य यदि सच में इतना सरल है तो हमें कठिन क्यों लगता है?
उत्तर भी जान लेते हैं |
अतः उत्तर स्पष्ट है –
क्योंकि हम हमारी गलतियों को, हमारी कमियों को हमारे भीतर के अँधेरे पक्ष को “स्वीकारना” नहीं चाहते | और इसी कारणवश यह कार्य अत्यंत सरल होते हुए भी हमें कठिन प्रतीत होता है |
हम सभी अपने भीतर की रोशनी की ओर अत्यधिक ध्यान केन्द्रित करते हैं | परन्तु, यह भूल जाते हैं कि जहाँ पहले से ही प्रकाश है वहां और प्रकाश डालने से क्या लाभ ?
प्रकाश एवं ऊर्जा तो हमें हमारे भीतर के अन्धकार को देनी चाहिए | ताकि हमारे भीतर का अन्धकार समाप्त हो एवं हर एक कोना दीए की भांति जगमगाए |
परन्तु, इस कार्य को करने हेतु हमें उस अन्धकार को स्वीकारना होगा | हर एक कमी, गलती एवं दुष्कर्मों को कोने-कोने से ढूंढ-ढूंढ कर उस पर अपना ध्यान, समय एवं ऊर्जा खर्च करनी होगी | उसे चमकाना होगा, तभी सुधार सम्भव हो पाएगा; हम में भी एवं हमारे आस-पास के वातावरण एवं समाज में भी |
~ तो आइये एक दिया जलाएं, हमारे भीतर के अन्धकार को मिटाने हेतु ||
Abhinav ji
11-Dec-2022 09:32 AM
Very nice mam
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Swati Sharma
11-Dec-2022 11:30 AM
Thank you sir 🙏🏻
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Mahendra Bhatt
11-Dec-2022 09:09 AM
शानदार
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Swati Sharma
11-Dec-2022 11:30 AM
Thank you Sir 🙏🏻
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Gunjan Kamal
10-Dec-2022 11:22 PM
बहुत खूब
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Swati Sharma
11-Dec-2022 09:02 AM
Thank you ma'am
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